गुरु दत्त की जिंदगी
गुरु दत्त की जिंदगी को जिन्होंने पास से देखा वह बताते हैं कि शादी टूटने और बच्चों की तड़प से भी वह परेशान थे। वहीं शादी और प्यार दोनों ही गुरु दत्त को नसीब नहीं हुआ। इस वजह से उनका तनाव बढ़ता गया और वह शराब और नींद की दवाइयों में जकड़ने लगे। गुरु दत्त वह शख्स हैं जिन्हें एक्टिंग, निर्देशन और लेखन में तमाम गुर हासिल थे लेकिन वह असल जिंदगी में सफल नहीं हो पाए।

न-नुकुर नहीं पसंद थी
कहा जाता है कि ज्यादा भावनात्मक होने भी कभी कभी मु्श्किल में डाल देता है। वह भावात्मक के साथ साथ ओवर पजेसिव भी थे जिन्हें न सुनना कतई पसंद नहीं था। इसका एक उदाहरण ये है कि दिलीप कुमार ने जब ‘प्यासा’ फिल्म करने से मना कर दिया तो वह खुद एक्टिंग के लिए उतर आए।

गुरु दत्त-वहीदा रहमान-गीता दत्त का लव ट्रायंगल
वहीं गुरु दत्त का जबरदस्त लव ट्रायंगल भी रहा। इस ट्रायगंल को भी लोग उनकी खुदखुशी का कारण मानते हैं। उनकी पहली मोहब्बत गायिका गीता रॉय थी। दोनों की फिल्म ‘बाजी’ के दौरान हुई। बतौर निर्देशक गुरु दत्त की पहली फिल्म थी। गुरु और गीता की नजदीकियां बढ़ने लगीं और दोनों ने हमेशा के लिए साथ रहने का वचन लिया। साल 1953 में तीन साल के अफेयर के बाद दोनों ने शादी कर ली। कहा जाता है कि वहीदा रहमान से नाम जुड़ने के चलते सिर्फ 4 साल बाद ही दोनों में खलल पड़ने लगी। ये शादी आते आते टूट गई।

गुरु दत्त और गीता दत्त के बीच दूरियां
दोनों के तीन बच्चे हैं। गीता और गुरु दत्त की जिंदगी में दिक्कतें आने लगी। गुरु दत्त और गीता की जिंदगी में दिक्कतें तब आने लगी जब मशहूर एक्ट्रेस, खूबसूरती का दूसरा नाम वहीदा रहमान की एंट्री हुई। ‘प्यासा’ फिल्म, को लेकर बताया जाता है कि इसी दौरान गीता और गुरु दत्त में दूरियां बढ़ने लगी थीं।
गुरु दत्त की टीम में वहीदा शामिल हो गई थीं। वहीदा ने गुरु दत्त के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट भी साइन कर लिया था लेकिन एक शर्त रखी थी। ये शर्त थी कि वह कपड़े अपने हिसाब से पहनेंगी।

वहीदा रहमान और गुरु दत्त
कहा जाता है कि गुरु दत्त ही वहीदा रहमान को बॉलीवुड में लेकर आए। साल 1956 में आई फिल्म ‘सीआईडी’ से गुरु दत्त ने वहीदा रहमान को लॉन्च किया। इस फिल्म को गुरु दत्त ने प्रोड्यूस किया था। ‘कहीं पे निगाहे कहीं पे निशाना’, ‘ये है मुंबई मेरी जान’…जैसे गाने इसी फिल्म के थे। इसके बाद ‘प्यासा’ में गुरु दत्त और वहीदा रहमान साथ में नजर आए।

गुरु दत्त ने बनाई खुद पर फिल्म
‘कागज़ के फूल’ फिल्म उन्होंने अपनी जिंदगी के बिल्कुल करीब से बनाई। ये वही फिल्म थी जिसमें निर्देशक को अपनी हीरोइन से प्यार हो जाता है। इसे उन्हीं के जीवन पर बताया गया। इसके बाद वहीदा और गुरु की प्रेम कहानी हर किसी को जुबां पर होने लगी।

बच्चों से मिलने की तड़प
गुरु दत्त की जिंदगी में सफलता, नाम, शोहरत तो बहुत थी लेकिन उनकी जिंदगी में अधूरापन बढ़ता गया। इसी के चलते वह शराब, नींद की गोलियों के नजदीक पहुंचते गए। गुरु दत्त का जरूरत से ज्यादा भावनात्मक होना, ज्यादा बैचेनी, हर काम में न सुनने की आदत ने उनसे सब धीरे धीरे छीन लिया। वहां पत्नी गीता उनसे अलग हो गयीं और वहीदा से भी सब बिगड़ने लगा। बच्चों से मिलने की तड़प भी हमेशा गुरु दत्त के भीतर होती।

डिप्रेशन में गुरु दत्त
धीरे धीरे गुरु दत्त अवसाद में चले गए। उनका सहारा शराब और नींद की गोलियां हुआ करती थी। ऐसे ही 9 जुलाई 1964 में गुरु दत्त ने मुंबई वाले घर में आखिरी सांसे ली। उनकी मौत भी ऐसी थी जोकि आज तक साफ नहीं कि वह आत्महत्या थी या फिर कुछ। उनकी बैचेनी और उनका अधूरापन उनके साथ ही उस रात खत्म हो गया।

गुरु दत्त के भाई ने बतायी उनकी आखिरी रात
गुरु दत्त के बाई देवी दत्त ने इसे सुसाइड मानने से इंकार कर दिया था। उन्होंने ड्रग ओवरडोज को मौत की वजह माना। उन्होंने बताया था कि गुरु दत्त का आखिर दिन कैसा था। उन्होंने कहा कि वह उस दिन भी नॉर्मल डे की तरह स्वस्थ और सही मालूम पड़ रहे थे। दिन में उन्होंने बेटों के लिए शॉपिंग की और फिर पेडेर रोड पर स्थित अपार्टमेंट में वापस आ गए।

गुरु दत्त की आखिरी ख्वाहिश !!
करीब 7 बजे का समय था वह घर में थे और वह बच्चों से मिलने के लिए कह रहे थे। रोजाना की तरह 10 बजे गीता दत्त को फोन मिलाया और कहा कि बच्चों को भेजो। हर बार की तरह गीता ने बच्चों से मिलने के लिए मना कर दिया। वह ढाई साल की बेटी से मिलने के लिए तड़प रहे थे। उन्होंने फोन पर ये तक कह दिया कि अगर तुमने बच्चे नहीं भेजे तो वह उनका मरा मुंह देखेंगी।

जीवन खत्म हुआ
किसने सोचा था कि ये सब कैसे सच हो जाएगा। देवी दत्त देर रात करीब 1 बजे अपने घर के लिए चल पड़े। फिर कहा गया कि उन्होंने देर रात तक शराब पी। फिर आगे क्या हुआ किसी को नहीं पता। वह 10 अक्टूबर को अपने कमरे में मृत पाए गए थे।